गुलाम नबी आजाद की ओर से पीएम मोदी की प्रशंसा के बाद सामने आई सफाई..''गलत समझा गया''



 नई दिल्‍ली: कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा ने उनकी ही पार्टी के कई लोगों को नाराज कर दिया है. इस टिप्‍पणी के कुछ दिनों के बाद आजाद से जुड़े सूत्रों ने बताया कि उन्‍हें (आजाद को) गलत समझा गया. गौरतलब है कि आजाद ने जम्‍मू में एक बैठक में पीएम की प्रशंसा की थी जहां वे और कांग्रेस के अंसंतुष्‍ट खेमे से जुड़े नेता, जिन्‍हें "G-23" का नाम दिया गया है, ने एक बैठक आयेाजित की थी. पूर्व केंद्रीय मंत्री आजाद ने इस बैठक में कहा था, 'मैं कई नेताओं की बहुत सारी बातें पसंद करता हूं. मैं गांव से हूं और मुझे इस पर गर्व है. यहां तक कि हमारे प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) भी गांव से है और चाय बेचा करते थे. हम राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी है लेकिन अपनी पहचान नहीं छुपाने के लिए मैं उनकी (पीएम की) सराहना करना हूं.आपने अपनी असलियत छिपाई तो आप एक ख्याली और बनावटी दुनिया में रहते हैं. आदमी को अपनी असलियत पर फख्र होना चाहिए. ' हाल ही में राज्‍यसभा से रिटायर हुए कांग्रेस नेता आजाद का यह बयान पीएम की ओर से उन्‍हें दी गई भावनात्‍मक फेयरवेल के कुछ सप्‍ताह बाद सामने आया है.

मंगलवार को गुलाम नबी आजाद के करीबी सूत्र ने कहा कि उन्‍होंने (आजाद ने) पीएम की प्रशंसा नहीं की. कांग्रेस नेता को स्‍पष्‍ट रूप से गलत समझा गया और वे उचित समय पर इस बारे में स्थिति स्‍पष्‍ट करेंगे. इस सूत्र के अनुसार, आजाद ने पीएम का उल्‍लेख केवल अपनी बात रखने के लिए किया था कि वे चाय बेचते थे. जानकारी के अनुसार, आजाद पांच राज्‍यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी के लिए प्रचार भी करेंगे. आजाद का यह कदम, उन पार्टी नेताओं को जवाब होगा जो कहते हैं कि असंतुष्‍ट पार्टी नेता, पार्टी को चुनाव में समर्थन देने के बजाय सार्वजनिक तौर पर आलोचना कर रहे हैं, सूत्रों ने कहा, 'वे कांग्रेस की ओर से प्रचारकों की चुनाव आयोग को भेजी जाने वाली लिस्‍ट का इंतजार कर रहे हैं.'G-23 के एक और नेता आनंद शर्मा ने सोमवार को ही पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के संदर्भ में पार्टी की रणनीति पर सवालिया निशान लगाया है. शर्मा ने अपने ट्वीट में लिखा था, 'सांप्रदायिकता के खिलाफ लड़ाई में कांग्रेस चयनात्मक (सिलेक्टिव) नहीं हो सकती. हमें हर सांप्रदायिकता के हर रूप से लड़ना है.पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की उपस्थिति और समर्थन शर्मनाक है, उन्हें अपना पक्ष स्पष्ट करना चाहिए.' एक अन्‍य ट्वीट में उन्‍होंने लिखा था, ' ISF और ऐसे अन्य दलों से साथ कांग्रेस का गठबंधन पार्टी की मूल विचारधारा, गांधीवाद और नेहरूवादी धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ है, जो कांग्रेस पार्टी की आत्मा है. इन मुद्दों को कांग्रेस कार्य समिति पर चर्चा होनी चाहिए थी.' आजाद इस विषय पर पूरी तरह सहमत नहीं हैं. उनसे जुड़े सूत्र ने कहा कि इसके लिए 'सीडब्‍ल्‍यूसी की मीटिंग की इस समय जरूरत' नहीं है.